ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस से भारत ने अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया है। एक समय यह एयरबेस भारत के लिए एक लॉजिस्टिक्स हब की तरह काम करता था। अफगानिस्तान में तालिबान की एंट्री के बाद 2022 में भारत और ताजिकिस्तान के बीच हुआ अहम समझौता खत्म हो गया था। इसके साथ ही, अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और नॉर्दर्न अलायंस के पतन से इस बेस की जरूरत भी खत्म हो गई। अब इस बेस की कमान रूसी सेना ने संभाल ली है।
आयनी एयरबेस को लेकर बड़ा फैसला
भारत ने 2023 की शुरुआत तक आयनी एयरबेस से अपना सारा सामान और सैनिक वहां से हटा लिए थे। हालांकि इससे पहले इस बेस पर भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर तैनात थे। साथ ही, हेलीकॉप्टरों की मरम्मत और रखरखाव का सामान भी यहीं रखा जाता था। जब अफगानिस्तान में नॉर्दर्न अलायंस मजबूत था, तब भारत इस बेस का खूब इस्तेमाल करता था।
अहम लॉजिस्टिक्स सपोर्ट सेंटर था ये एयरबेस
यह बेस अफगानिस्तान में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स सपोर्ट सेंटर माना जाता था। लेकिन, अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद इस बेस की अहमियत कम होगई। आयनी एयरबेस को लेकर भारत और ताजिकिस्तान के बीच कूटनीतिक समझौता हुआ था, जिसे अब आगे नहीं बढ़ाया गया।
रूसी सेना ने लिया इस एयरबेस पर कब्जा
अब इस एयरबेस का कब्जा रूसी सेना ने ले लिया है। इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि भारतीय सेना वहां एक द्विपक्षीय समझौते के तहत मौजूद थी। यह समझौता 2021-22 में खत्म हो गया।
भारत ने कभी तैनात नहीं किए लड़ाकू विमान
यह एयरबेस कभी भी लड़ाई के लिए इस्तेमाल नहीं हुआ। यह सिर्फ एक लॉजिस्टिक्स बेस था। यहां कभी भी भारत ने लड़ाकू विमान तैनात नहीं किए गए। भारत ने यहां Mi17 हेलीकॉप्टर रखे थे, जो ताजिकिस्तान की सेना की मदद भी करते थे।